रीजनिंग में कोण की माप जानना तब बहुत आवश्यक हो जाता है जब कोई आकृति एक निश्चित कोण के साथ परिवर्तित होती है और उसके साथ एक निश्चित क्रम में एक निश्चित दिशा में बढ़ रही होती है कभी-कभी यह अपनी मूल आकृति से प्रेरित होकर एक नया रूप धारण कर लेती है अर्थात एक नई आकृति अपनी मूल आकृति से भिन्न होती है इस प्रकार प्राप्त आकृति भिन्न-भिन्न कोणों पर एक निश्चित नियम के अनुसार ही घूमती है यह आकृतियां अधिकतर 45, 90, 180 डिग्री के कोण बनाते हुए घूमती हैं और विभिन्न कोणों के साथ आकृतियों का स्थानांतरण हमेशा एक निश्चित क्रम के अनुकूल ही रहता है
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